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सोमवार, 12 मई 2008

अन्त्रय्त्रिया धुम्रपान निषेध दिवस ३१ मई २००८

थीम: तम्बाकू मुक्त युवा
इसमें कोई दो राय नही है की तम्बाकू विश्व की सबसे ज्यादा रोकी जा सकने वाली मौतों का कारन बनता जा रहा है । यह एक मात्र ऐसा उत्पाद है जो की इसको बनाने वाली कंपनिओं के द्वारा प्रचारित और इसके उपयोग से मौतों के मुह में आसानी से जा सकता है। तम्बाकू दुनिया में आधे लोगों को जो इसका उपयोग करतें हैं जान से मार देती है। दुनिया के करीब १ अरब नव्युकों में ८५ प्रतिशत विकाशशील देशों में निवास करतें हैं इन नौव्युकों को बचपन से ही तम्बाकू जनित बीमारिओं का खतरा रहता है । यद्यपि की वे सामान्यतया स्वस्य्थ जीवन व्यतीत करतें हैं ।
अवयस्क युवकों द्वारा तम्बाकू का प्रयोग, जो की तम्बाकू कंपनिओं के सबसे बड़े लक्ष्य हैं इनको पुरी जिंदगी भर के लिए तम्बाकू का लती बना सकता है। नवयुवकों में तम्बाकू के प्रयोग को रोकने का सबसे प्रभावकारी तरीका है की तम्बाकू के भ्रामक विज्ञापनों पर पूर्णतया प्रतिबन्ध लगा दिया जाए तथा तम्बाकू कंपनिओं द्वारा प्रायोजित किसी भी सार्वजनिक समारोहों पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाए।
केन्द्र बिन्दु: इस साल का अन्त्रस्त्रिये तम्बाकू विरोध दिवस निम्न बिन्दुओं पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा: तम्बाकू के उत्पाद का भ्रामक बाजारीकरण, इसके अप्रत्यक्ष व प्रत्यक्ष विज्ञापन तम्बाकू कंपनियों द्वारा प्रायोजित किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगाना।
तम्बाकू उत्पाद के भ्रामक विज्ञापन, प्रोत्साहन कम दामों पर आसानी से लोगों तक इसके उपलब्द्ता आदि से इसके उत्पादओं की संख्या आसानी से बढ़ती जा रही है। तम्बाकू उत्पाद के भ्रामक प्रचार- प्रसार की मुख्य गतिविधियाँ अवयस्क युवाओं को केन्द्र में रखकर की जाती हैं। क्यूंकि यह युवा इसके सबसे बड़े ग्राहक होते हैं। तम्बाकू कंपनिया करीब दस अरब रूपये सालाना खर्च करतीं हैं अपने मौत के समान के इस विज्ञापन पर। इस विज्ञापन के पीछे इन कंपनियों का सीदा मकसद अपने उत्पाद के उपयोग के लिए नये ग्राहकों को तैयार करना है क्यूंकि हर साल लाखों लोग तम्बाकू के उपयोग से मरते हैं।
तम्बाकू कंपनिया अपने उत्पादों के प्रत्यक्ष विज्ञापनों के लिए विभिन्न माध्यमों का सहारा लेतीं हैं। जैसे रेडियो, तलिबिजों, पत्रिकयों, बैनर, पोस्टर, होर्डिंग्स, सीधे तौर पर मेल द्वारा, कूपन के द्वारा, ब्रांड आधारित कार्यक्रमों के आयोजन के द्वारा, किसी बड़े मनोरंजन कार्यक्रमों में स्पोंसोर्शिप के द्वारा ऐसे स्थानों को जहाँ शहरी युवा वर्ग ज्यादा एकत्रित हों वहाँ अपने उत्पादों के विज्ञापन आदि द्वारा।
एक आवाज कुछ करने के लिए : विश्व में सिर्फ़ ५ प्रतिशत जनसंख्या ऐसे है जहाँ तम्बाकू के उत्पादों के विज्ञापन और इसके प्रोत्साहन पर पूर्णतय प्रतिबन्ध है। विश्व के करीब आधे प्रतिशत बच्चों की जनसंख्या पर तम्बाकू के उत्पाद के निह्सुल्क वितरण पर किसी तरह का प्रतिबन्ध नही है। आज यहाँ रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा का सबसे ज्यादा प्रभावकारी तरीका किसी भी देश के लिए यह हो सकता है की वह अपने यहाँ तम्बाकू उत्पाद के विज्ञापन प्रोत्साहन और इसके द्वारा प्रायोजित कार्यक्रमों कर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगा दे। सिर्फ़ और सिर्फ़ पूर्ण और व्यापक प्रतिबन्ध ही तम्बाकू उपभोगता को कम कर सकतें हैं। राष्ट्र स्तर पर कराये गए एस शोध से यह पता चलता है की तम्बाकू पर व्यापक प्रतिबन्ध लगा देने से करीब दस प्रतिशत लोगों पर इसके उपयोग में कमी आई है।
एक आवाज तम्बाकू उत्पाद के विज्ञापनों, इसके प्रचार- प्रसार और स्पोंशोर्शिप पर १०० प्रतिशत रोकथाम के लिए :
** निति निर्माताओं लो शामिल करना :- निति निर्माताओं में इस बात की जागरूकता पैदा करना की सिर्फ़ स्वक्षिक नीतियों द्वारा ही तम्बाकू कंपनियों के भ्रामक विज्ञापन और युव्वओं द्वारा किए जाने वाले इसके प्रयोग पर प्रतिबन्ध नही लगाया जा सकता है। निति निर्माताओं को इस बात की भी जानकारी देना की तम्बाकू का खतरा विकाशशील देशों में ज्यादा है जहाँ विश्व की कुल उपभोगताओं में से एक तिहाई यहीं निवास करतें हैं।
** स्थान आधारित अवसरों पर प्रतिबन्ध : जैसे इंटरनेट के द्वारा इसके बिक्री, वेंडिंग मशीन के प्रयोग पर प्रतिबन्ध तथा नए - नए तम्बाकू के छोटे दुकानों आदि पर प्रतिबन्ध जो की युवोओं को लुभाने आदि के लिए बनाये जातें हैं ।
** तम्बाकू उत्पाद के भ्रामक पैकेजिंग आदि पर प्रतिबन्ध :- अक्सर तम्बाकू कम्पनियाँ अपने उत्पाद के पैकेटों पर विभिन्न तरीके के भ्रामक स्लोगअन आदि का इस्तेमाल करती हैं । जैसे ' लाईट ' माइल्ड' ' लो टार' आदि । इसके साथ- साथ यह भी प्रचारित करना की गुटका विभिन्न स्वादों में उपलब्ध है इत्यादी पर प्रतिबन्ध लगना । क्योंकि इस तरह की युक्तियाँ भी युव्वओं को इसके प्रयोग के लिए लुभाती हैं।
तम्बाकू की वैकल्पिक कीमतें: तम्बाकू की कम्पनियाँ अपने उत्पाद के ज्यादा से ज्यादा बिक्री के लिए विभिन्न तरह की योजनाएं आदि लातीं हैं जैसे किड्स पैक आदि।
तम्बाकू कंपनिया अपने कई लाख ग्राहकों को जो की या तो तम्बाकू के द्वारा होने वाली बीमारिओं से मर जानतें हैं या फिर किसी अन्य प्रभाव में आकर इसका उपयोग बंद कर देतें हैं। ऐसे में नए ग्राहकों को तैयार करना इनका सबसे बड़ा लक्ष्य होता है।
महिलाओं में बढ़ते तम्बाकू के स्वरूप ने विश्व में एक नई चुनौती खड़ी कर दी । यद्यपि की कई सारे देशों में महिलाएं परम्परागत रूप से तम्बाकू का सेवन नहीं करती हैं और पुरषों की आपेक्षा महिलाओं में तम्बाकू का सेवन लगभग एक चौथाई कम हुआ है किंतु तम्बाकू कंपनिया इन महिलाओं को भी अपने उत्पादों के ज्यादा से ज्यादा प्रयोग की तरफ़ रिझाने में लगीं हैं।

गुरुवार, 8 मई 2008

जागरूकता से ही सम्भव है तम्बक्को नियंत्रण










आज आशा सामाजिक विद्यालय में जो की सचिवालय कालोनी के पीछे, रिंग रोड के पास मलिन बस्ती में स्तिथ है तम्बाकू से होने वाली जानलेवा बिमारिओं पर पोस्टर प्रदर्शनी और आन स्पॉट नशा छोड़ने के लिए परामर्श अभियान विश्व स्वास्थ्य संगठन की नशा उन्मूलन क्लिनिक के तरफ़ से आयोजित किया गया था।
"यदि हमें तम्बाकू के बुरे प्रभावों का पता होता तो शायद आज मैं अपने आप को फेफडे की बीमारी सा बचा सकता था " यह बात कहना था इस मलिन बस्ती में रहने वाले ४० वर्षीय राम कुमार का जो की इस मलिन बस्ती में अपने १० बर्सिये पोलियो से ग्रसित बच्चे के साथ रहते हैं।
हर साल ५० लाख से अधिक लोग तम्बाकू जनित जान लेवा बिमारिओं की वजह से मौत के शिकार हो जातें हैं। यदि तम्बाकू का सेवन इसी तरह से बढ़ता रहा तो २०३० तक यह अनुपात करीब ८० लाख हो जाएगा। तम्बाकू विश्व का चौथा सबसे बड़ा कारन है लोगों की मौत का। जो कम्पनियाँ इन पदार्थों के जानलेवा स्वरूप से भलीभांति परिचित है उसके बाद भी तम्बाकू के भ्रामक विज्ञापन के जरिये लाखों बच्चों , युवाओं और महिलाओं को हकीकत छुपाते हुए ग्लेमौर और फैशन आदि के विज्ञापनों द्वारा नशा ग्रस्त कराती है वह न तो जिम्मेदार ठहरे जाती है और न जवाब देह।
इस अवसर पर 'इंडियन सोसिएटी अगेन्स्ट स्मोकिंग ' के कार्यक्रम समन्वय रितेश आर्य ने जो की दस साल पहले ख़ुद भी तम्बाकू का सेवन करते थे ने बताया की " तम्बाकू २६ प्रकार से भी अधिक जानलेवा बिमारिओं का जनक है, उनका कहना था की तम्बाकू में मौजूद तत्व निकोटीन अधिक नशीला होता है, इसलिए इस नशे को त्यागने में लोग अक्सर असफल हो जातें हैं। उन्होंने बताया की दृढ़ इच्छा शक्ति से ही नशे को छोडा जा सकता है।
इस कार्यक्रम में स्कूल के करीब १०० बच्चों ने जो की इन मलिन बस्तियों में रहतें हैं के साथ-साथ उनके माता-पिता तथा आस - पास के और भी लोगों ने भाग लिया । कार्यक्रम के दौरान कई बच्चों नें यह स्वीकार किया की अक्सर हम लोग भी गुटका इत्यादी का सेवन कर लेतें है क्योंकि वह अपने माता - पिता तथा आस - पास के और लोगों को ऐसा करते हुए देखते हैं।
कार्यक्रम के दौरान अभिनव भारत फाउंडेशन के प्रवक्ता राहुल द्विवेदी ने बताया की " तम्बाकू एक धीमा जहर है जिसे जड़ से मिटाना जरूरी है। कार्यक्रम के दौरान बिभिन स्कूलों और विश्व विद्यालयों के छात्रों ने भाग लिया।

बुधवार, 7 मई 2008

व्यापक प्रबंधन और उचित देखभाल से सम्भव है अस्थमा नियंत्रण

यूनियन अस्थमा विभाग के प्रमुख, प्रो० नाडिया-अल- खालिद ने अस्थमा नियंत्रण कार्यक्रम की गुणवत्ता और इसके व्यापक प्रभाव के उपर विश्व के कई सारे मध्यम आय वर्ग के देशों में कई शोध करायें हैं। करीब एक साल के व्यापक अस्थमा नियंत्रण कार्येक्रमऔर प्रबंधन के बाद डॉक्टर खालिद ने देखा की अस्थमा के होने का खतरा अचानक लोंगों में कम हुआ है और अस्थमा के मरीजों की अस्पताल में जाने और भरती होने की संख्या में करीब ७० प्रतिशत की गिरावट आई है। डॉक्टर निल्स विल्लो टी०बी० तथा फेफडे के विरुद्ध इंटरनेशनल संगठन ( एस संगठन की स्थापना १९२० इस्बी में टी० बी० के विरुद्ध लड़ने के लिए हुई थी) के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर निल्स विल्लो का कहना है की " यदि हम अस्थमा नियंत्रण कार्यक्रम और इसके व्यापक प्रबंधन पर जोर दें तो अस्थमा की गंभीरता को कम किया जा सकता है। डॉक्टर निल्स विल्लो का आगे कहना है की कई सारी शोधों से यह पता चलता है की अस्थमा पूरे विश्व में तेजी से फैल रहा है अस्थमा के एस बढ़ते प्रकोप को हम कम और मध्यम आय वाले देशों में आसानी से देख सकते हैं जहाँ पर लोगों को इसके आवश्यक उपचार तक पहुँच बहुत कम है और उपलब्ध दवाएं भी बहुत महंगी है।
विश्व में करीब ३० करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित हैं जिसमें से करीब 2,५०००० की मौत हर साल हो जाती है। यद्यपि की अस्थमा एक जानलेवा और पुरानी बीमारी है लेकिन यदि हम व्यापक ध्यान दें तो एस पर आसानी से नियंत्रण पाया जा सकता है।
इस संघ के फेफडे के विभाग के निदेशक डॉक्टर शियंग चेन- युवान का कहना है की विश्व में अस्थमा मौत का अत्यन्त ही सामान्य रोग है किंतु यह सफलता पूर्वक रोका जा सकता है यदि हम इसके रोकने के उचित प्रवंधन और पर्याप्त उपचार पर जोर देने और रोगों की सही से पहचान करने पर .
यह संघ विश्व में अस्थमा के उपचार पर लोगों में जागरूकता फैलाने और प्रोत्साहन करता है। संघ अस्थमा नियंत्रण के लिए तकनिकी सहायता के साथ-साथ प्रसिक्षण कार्यक्रमों का भी आयोजन करता है। संघ कम तथा मध्यम आय वर्ग वाले देशों में शोध का कम भी करता है। यह संघ इस बात की वकालत करता है की अस्थमा नियंत्रण की औषधि को कम पैसों और आसानी से लोगों की पंहुच तक बनाया जाए।