गुरुवार, 8 मई 2008

जागरूकता से ही सम्भव है तम्बक्को नियंत्रण










आज आशा सामाजिक विद्यालय में जो की सचिवालय कालोनी के पीछे, रिंग रोड के पास मलिन बस्ती में स्तिथ है तम्बाकू से होने वाली जानलेवा बिमारिओं पर पोस्टर प्रदर्शनी और आन स्पॉट नशा छोड़ने के लिए परामर्श अभियान विश्व स्वास्थ्य संगठन की नशा उन्मूलन क्लिनिक के तरफ़ से आयोजित किया गया था।
"यदि हमें तम्बाकू के बुरे प्रभावों का पता होता तो शायद आज मैं अपने आप को फेफडे की बीमारी सा बचा सकता था " यह बात कहना था इस मलिन बस्ती में रहने वाले ४० वर्षीय राम कुमार का जो की इस मलिन बस्ती में अपने १० बर्सिये पोलियो से ग्रसित बच्चे के साथ रहते हैं।
हर साल ५० लाख से अधिक लोग तम्बाकू जनित जान लेवा बिमारिओं की वजह से मौत के शिकार हो जातें हैं। यदि तम्बाकू का सेवन इसी तरह से बढ़ता रहा तो २०३० तक यह अनुपात करीब ८० लाख हो जाएगा। तम्बाकू विश्व का चौथा सबसे बड़ा कारन है लोगों की मौत का। जो कम्पनियाँ इन पदार्थों के जानलेवा स्वरूप से भलीभांति परिचित है उसके बाद भी तम्बाकू के भ्रामक विज्ञापन के जरिये लाखों बच्चों , युवाओं और महिलाओं को हकीकत छुपाते हुए ग्लेमौर और फैशन आदि के विज्ञापनों द्वारा नशा ग्रस्त कराती है वह न तो जिम्मेदार ठहरे जाती है और न जवाब देह।
इस अवसर पर 'इंडियन सोसिएटी अगेन्स्ट स्मोकिंग ' के कार्यक्रम समन्वय रितेश आर्य ने जो की दस साल पहले ख़ुद भी तम्बाकू का सेवन करते थे ने बताया की " तम्बाकू २६ प्रकार से भी अधिक जानलेवा बिमारिओं का जनक है, उनका कहना था की तम्बाकू में मौजूद तत्व निकोटीन अधिक नशीला होता है, इसलिए इस नशे को त्यागने में लोग अक्सर असफल हो जातें हैं। उन्होंने बताया की दृढ़ इच्छा शक्ति से ही नशे को छोडा जा सकता है।
इस कार्यक्रम में स्कूल के करीब १०० बच्चों ने जो की इन मलिन बस्तियों में रहतें हैं के साथ-साथ उनके माता-पिता तथा आस - पास के और भी लोगों ने भाग लिया । कार्यक्रम के दौरान कई बच्चों नें यह स्वीकार किया की अक्सर हम लोग भी गुटका इत्यादी का सेवन कर लेतें है क्योंकि वह अपने माता - पिता तथा आस - पास के और लोगों को ऐसा करते हुए देखते हैं।
कार्यक्रम के दौरान अभिनव भारत फाउंडेशन के प्रवक्ता राहुल द्विवेदी ने बताया की " तम्बाकू एक धीमा जहर है जिसे जड़ से मिटाना जरूरी है। कार्यक्रम के दौरान बिभिन स्कूलों और विश्व विद्यालयों के छात्रों ने भाग लिया।

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