यूनियन अस्थमा विभाग के प्रमुख, प्रो० नाडिया-अल- खालिद ने अस्थमा नियंत्रण कार्यक्रम की गुणवत्ता और इसके व्यापक प्रभाव के उपर विश्व के कई सारे मध्यम आय वर्ग के देशों में कई शोध करायें हैं। करीब एक साल के व्यापक अस्थमा नियंत्रण कार्येक्रमऔर प्रबंधन के बाद डॉक्टर खालिद ने देखा की अस्थमा के होने का खतरा अचानक लोंगों में कम हुआ है और अस्थमा के मरीजों की अस्पताल में जाने और भरती होने की संख्या में करीब ७० प्रतिशत की गिरावट आई है। डॉक्टर निल्स विल्लो टी०बी० तथा फेफडे के विरुद्ध इंटरनेशनल संगठन ( एस संगठन की स्थापना १९२० इस्बी में टी० बी० के विरुद्ध लड़ने के लिए हुई थी) के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर निल्स विल्लो का कहना है की " यदि हम अस्थमा नियंत्रण कार्यक्रम और इसके व्यापक प्रबंधन पर जोर दें तो अस्थमा की गंभीरता को कम किया जा सकता है। डॉक्टर निल्स विल्लो का आगे कहना है की कई सारी शोधों से यह पता चलता है की अस्थमा पूरे विश्व में तेजी से फैल रहा है अस्थमा के एस बढ़ते प्रकोप को हम कम और मध्यम आय वाले देशों में आसानी से देख सकते हैं जहाँ पर लोगों को इसके आवश्यक उपचार तक पहुँच बहुत कम है और उपलब्ध दवाएं भी बहुत महंगी है।
विश्व में करीब ३० करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित हैं जिसमें से करीब 2,५०००० की मौत हर साल हो जाती है। यद्यपि की अस्थमा एक जानलेवा और पुरानी बीमारी है लेकिन यदि हम व्यापक ध्यान दें तो एस पर आसानी से नियंत्रण पाया जा सकता है।
इस संघ के फेफडे के विभाग के निदेशक डॉक्टर शियंग चेन- युवान का कहना है की विश्व में अस्थमा मौत का अत्यन्त ही सामान्य रोग है किंतु यह सफलता पूर्वक रोका जा सकता है यदि हम इसके रोकने के उचित प्रवंधन और पर्याप्त उपचार पर जोर देने और रोगों की सही से पहचान करने पर .
यह संघ विश्व में अस्थमा के उपचार पर लोगों में जागरूकता फैलाने और प्रोत्साहन करता है। संघ अस्थमा नियंत्रण के लिए तकनिकी सहायता के साथ-साथ प्रसिक्षण कार्यक्रमों का भी आयोजन करता है। संघ कम तथा मध्यम आय वर्ग वाले देशों में शोध का कम भी करता है। यह संघ इस बात की वकालत करता है की अस्थमा नियंत्रण की औषधि को कम पैसों और आसानी से लोगों की पंहुच तक बनाया जाए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें