बुधवार, 30 जुलाई 2008

तम्बाकू महामारी के प्रति संवेदनशील होते विकसित देश

तम्बाकू महामारी के प्रति संवेदनशील होते विकसित देश

अमित द्विवेदी

इसमे कोई दो राय नहीं की तम्बाकू विकासशील देशों के लिए एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है, और यह चुनौती दिन-प्रतिदिन और भी विकराल रूप लेता जा रहा है, क्योंकि पूरे विश्व में प्रत्येक दिन करीब ११ हजार लोग तम्बाकू द्वारा होने वाली मौतों का शिकार हो रहे हैं, जिनमे से ८० प्रतिशत मौत विकाशील देशों में होती है यदि इसको नही रोका गया तो आगे आने वाले वर्षों में स्तिथी अत्यन्त भयावह हो जायेगी। तम्बाकू द्वारा होने वाली इतनी बड़ी मौतों और इसकी गंभीरता को देखते हुए अमेरिका के दो सबसे बड़े धनाढ्य व्यक्तियों बिल गेट्स और मइकल ब्लूमबर्ग ने प्रभावकारी तम्बाकू नियंत्रण की दिशा में व्यापक और गंभीर पहल करने के लिए विकासशील देशों को करीब २५००० करोड़ रूपये देने की घोषना की है जो अत्यन्त ही सराहनिए है। इन पैसों को सबसे ज्यादा चीन, भारत, इंडोनेशिया, रूस, और बांग्लादेश में तम्बाकू नियंत्रण अभियान के लिए लगाया जाएगा, क्योंकि दुनिया में सबसे ज्यादा तम्बाकू का सेवन करने वाले लोग इन्ही देशों में रहते हैं. यह देश जनसँख्या के मामले में भी काफी आगे हैं।

बिल गेट्स और माइकल ब्लूमबर्ग का मानना है की सिगरेट तथा अन्य तम्बाकू उत्पाद पर कर बढ़ा देने से, आसानी से लोगों तक इसकी पहुँच कम कर देने से, फिल्मो में सिगरेट तथा तम्बाकू का प्रयोग रोकने से, तम्बाकू नियंत्रण पर बनी संदियों को लागु प्रभाव करी तरीके से लागु करने से, विकाशशील देशों में तम्बाकू द्वारा फैली महामारी को कम किया जा सकता है. सरकार को तम्बाकू कंपनियों के उत्पादों पर अधिक से अधिक कर लगना चाहिए, और इस कर के द्वारा प्राप्त आय को तम्बाकू नियंत्रण गतिविधियों में लगना चाहिए. भरत में तम्बाकू महामारी का स्वरुप काफी व्यापक है. एक अनुमान के मुताबिक भारत में करीब २५० मिलियन लोग तम्बाकू के किसी न किसी उत्पाद का सेवन करतें हैं. लगभग ४८ प्रतिशत व्यस्क पुरूष और १४ प्रतिशत व्यस्क महिलायीं तम्बाकू का सेवन करतें हैं. आने वाले २० सलोने में पुरे विश्व के मुकाबली भारत में सबसे ज्यादा तम्बाकू के द्वारा मौतें होंगी. विश्व में हर साल तम्बाकू द्वारा होने वाली मौतों की संख्या मलेरिया, ते. वी. ह०आइ०वेए० के द्वारा मरने वाली लोगों के संख्या से कहीं ज्यादा है. कई सरे शोधों के द्वारा यह पता चलता है की विकसित देशों में तम्बाकू और सरब का प्रयोग काफी कम हो गया है, क्योंकि विकसित देश यह aachi तरह samjh चुके हैं की इसके प्रयोग न केवल swathya के लिए बल्कि उनके देश की yuva pidhi और arthvyawstha के लिए भी काफी nuksaandayak है. विकासशील desono को तम्बाकू की गंभीरता को samajhna chahiyee और विकसित deshono को इसके नियंत्रण में paryapt सहयोग देना chahiyee.

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